गुरुवार, 12 सितंबर 2013

ॐ साईं राम !

प्रेम = आध्यात्म 
प्रेम = आध्यात्म 
दान = आध्यात्म 
सहनशीलता = आध्यात्म 
सोच = आध्यात्म

बच्चे की मोहक मुस्कान = आध्यात्म
मातृत्व = आध्यात्म
रक्षाबंधन = आध्यात्म
सप्तपद= आध्यात्म
मित्रता = आध्यात्म
सहयात्री = आध्यात्म
नींव = आध्यात्म

...... इस आध्यात्म के एहसास से दूर कोई भजन नहीं, पूजा नहीं  .....


गुरुवार, 5 सितंबर 2013

मैं अंश अंश हूँ भक्तों का ...












शिरडी मेरे मन में है मथुरा मेरी आँखों में  कैलाश है मेरे रोम रोम में 
कटरा मेरी शिराओं में  सोये हैं संकटमोचन मेरे मन के अर्घ्य के आगे  रुद्राक्ष घूमता मन्त्रों के संग  मैं अमरनाथ की चिड़िया हूँ 
मईहर में खड़ी आत्मा है मेरी
मैं इधर भी हूँ उधर भी हूँ 
प्रभु के कण कण में हूँ
प्रभु ने थामी ऊँगली मेरी
मैंने प्रभु के चरण है धोए
मैं केवट हूँ,मैं मीरा हूँ
मैं अंश अंश हूँ भक्तों का 
.........................ॐ साईं राम ॐ साईं राम ॐ साईं राम

शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

सबका मालिक एक !
















किसी दिन मैं नज़र न आऊँ 
तो मेरे साईं तुम भी मुझे वैसे ही महसूस करना 
जिस तरह मैं करती हूँ 
ईश्वर भक्त की आस्था है 
भक्त ईश्वर का विश्वास ...
इस विश्वास की अखंड ज्योति की बाती बन मैं
कहीं भी रहूँ
तुम मुझे अपने पास
अपने साथ महसूस करना
जिस तरह मैं तुम्हारे नाम का जाप करती हूँ
तुम भी अपनी दुआओं में मेरा नाम लेना
बिलकुल मेरी तरह
सही तो होगा = मुझसे अधिक
ॐ साईं ॐ साईं ॐ साईं
सबका मालिक एक - यानि तू ॐ साईं




शनिवार, 24 अगस्त 2013

शिर्डी मेरा शरीर ……














मैंने सोचा साईं से मिलने के कुछ जटिल मार्ग होंगे
शिर्डी की भीड़ में गई - सिर्फ भीड़
लाइन में लगकर विभूति में ढूंढा
छाले पड़ गए
हिम्मत लड़खड़ाई
आराम करने को टेक लगाया
किसी ने सर पे हाथ रखा
आँख खोले तो साईं को पाया
"मैं तो तेरे साथ हूँ
ढूंढना कहाँ है !"
तब जाना-माना
मुझमें ही है साईं
और शिर्डी मेरा शरीर ……………………. ॐ साईं राम