गुरुवार, 5 सितंबर 2013

मैं अंश अंश हूँ भक्तों का ...












शिरडी मेरे मन में है मथुरा मेरी आँखों में  कैलाश है मेरे रोम रोम में 
कटरा मेरी शिराओं में  सोये हैं संकटमोचन मेरे मन के अर्घ्य के आगे  रुद्राक्ष घूमता मन्त्रों के संग  मैं अमरनाथ की चिड़िया हूँ 
मईहर में खड़ी आत्मा है मेरी
मैं इधर भी हूँ उधर भी हूँ 
प्रभु के कण कण में हूँ
प्रभु ने थामी ऊँगली मेरी
मैंने प्रभु के चरण है धोए
मैं केवट हूँ,मैं मीरा हूँ
मैं अंश अंश हूँ भक्तों का 
.........................ॐ साईं राम ॐ साईं राम ॐ साईं राम

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